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चौथी औद्योगिक क्रांति के दौर में टेक्नोलॉजी के नैतिक-मूल्य: इंसानों की जगह रोबोट के उपयोग की दिशा में बढ़ते कदम

चौथी औद्योगिक क्रांति अभूतपूर्व प्रगति लेकर आई है, जिसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस दौर में अलग-अलग तरह की टेक्नोलॉजी साथ मिलकर भौतिक, डिजिटल और जैविक क्षेत्रों के बीच की रेखा को धीरे-धीरे मिटा रही है। यह बात सही है कि इस तरह के इनोवेशन से कार्य-क्षमता बढ़ती है और प्रगति आती है, लेकिन इससे नैतिकता से जुड़े कुछ अहम सवाल भी सामने आते हैं, जो खास तौर पर रोबोट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) द्वारा नौकरी में इंसानों की जगह लेने से संबंधित हैं।


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ऑटोमेशन से जुड़ी संभावनाएँ और संकट


AI और रोबोटिक्स में प्रगति की वजह से ऑटोमेशन को बढ़ावा मिला है, जो कई तरीकों से फायदेमंद है। दरअसल यह प्रोडक्टिविटी को बढ़ाता है, इंसानों से होने वाली त्रुटि को कम करता है, साथ ही इस तरह के कई काम भी करता है जो इंसानों के लिए खतरनाक या नीरस होते हैं। मैन्युफैक्चरिंग से लेकर स्वास्थ्य सेवा तक, सभी प्रकार के उद्योगों में ऑटोमेशन की वजह से काम करने की क्षमता बढ़ी है और सुरक्षा बेहतर हुई है। हालाँकि, रोबोटों के उदय से बड़े पैमाने पर इंसानों के लिए नौकरियाँ खत्म होने की आशंका भी पैदा हो रही है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, मशीनें 2022 तक 75 मिलियन नौकरियाँ खत्म कर सकती हैं, साथ ही 133 मिलियन नई नौकरियाँ भी पैदा कर सकती हैं। नैतिक चुनौती इस परिवर्तन को प्रबंधित करने में निहित है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इससे संपूर्ण समाज को लाभ हो। इस बदलाव को अच्छी तरह संभालना ही सबसे बड़ी नैतिक चुनौती है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इसका लाभ समग्र रूप से समाज को मिले।


रोज़गार पर प्रभाव


रोबोट द्वारा इंसानों की जगह लेने से जुड़ी सबसे बड़ी नैतिक चिंता यह है कि, रोज़गार पर इसका क्या प्रभाव पड़ने वाला है। जिन नौकरियों में कम कौशल की जरूरत होती है और एक ही काम को बार-बार दोहराया जाता है, वे सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं जिनसे बेरोजगारी और असमानता बढ़ने की संभावना है। उदाहरण के लिए, रिटेल कारोबार में सेल्फ-चेकआउट सिस्टम और ग्राहकों की सेवा के लिए ऑटोमेटिक तरीके से काम करने वाले बॉट्स के आगमन से पारंपरिक रूप से कम वेतन पर काम करने वाले लाखों लोगों की नौकरियाँ ख़तरे में हैं। टेक्नोलॉजी में इस तरह के बदलाव के लिए सामाजिक प्रतिक्रिया की आवश्यकता है, ताकि विस्थापित कामगारों को दोबारा प्रशिक्षण और शिक्षा कार्यक्रमों के ज़रिये सहायता दी जा सके। टेक्नोलॉजी के नैतिक तरीके से उपयोग में कामगारों को नए सिरे से कुशल बनाने की रणनीतियाँ शामिल होनी चाहिए, ताकि वे खुद को टेक्नोलॉजी में हुई प्रगति की वजह से सामने आने वाली नई भूमिकाओं के अनुरूप ढाल सकें।


व्यवसायों और सरकार की भूमिका


चौथी औद्योगिक क्रांति से जुड़ी नैतिक समस्याओं को दूर करने में व्यवसायों और सरकार की भूमिका सबसे अहम है। ऑटोमेशन को लागू करने वाली कंपनियों को अपनी टेक्नोलॉजी के समाज पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में सोचना चाहिए। कॉर्पोरेट जगत में अपनाये जाने वाले नैतिक तरीकों में कर्मचारियों को फिर से प्रशिक्षण देने वाले कार्यक्रमों में निवेश करना और आजीवन सीखने की संस्कृति को बढ़ावा देना शामिल है। दूसरी ओर, सरकारों को ऐसी नीतियाँ लागू करनी चाहिए जो कामगारों की स्थिति में बदलाव का समर्थन करें, जिसमें शैक्षिक पहलों के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करना और विस्थापित श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा जाल उपलब्ध कराना शामिल हैं।


निष्पक्षता को सुनिश्चित करना और सभी को शामिल करना


टेक्नोलॉजी को नैतिक तरीके से उपयोग में लाने के लिए निष्पक्षता के साथ-साथ सभी को शामिल करने पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में एआई सिस्टम का उपयोग धीरे-धीरे बढ़ रहा है, लिहाजा ट्रेंनिंग डेटा में पक्षपात के बने रहने का जोखिम भी बरकरार है। उदाहरण के लिए, नियुक्ति की प्रक्रियाओं में पक्षपातपूर्ण एल्गोरिदम मौजूदा असमानताओं को मजबूत कर सकते हैं, तथा हाशिए पर पड़े समूहों को असमान रूप से प्रभावित कर सकते हैं। एआई को निष्पक्षता एवं पारदर्शिता के साथ विकसित करना, विविध डेटा सेट सुनिश्चित करना और पक्षपात को कम करने के लिए लगातार निगरानी करना सबसे ज्यादा जरूरी है।


टेक्नोलॉजी की दुनिया में इंसानी घटक का महत्व


एक अन्य नैतिक विचार यह है कि, बड़ी तेजी से विकसित हो रही टेक्नोलॉजी की दुनिया में इंसानी घटक को भी बनाए रखा जाए। धीरे-धीरे रोबोट ज्यादा-से-ज्यादा काम संभालने लगे हैं, लिहाजा मानवीय उद्देश्य और उनकी गरिमा को बनाए रखना आवश्यक है। नौकरियाँ सिर्फ आय के स्रोत से कहीं बढ़कर है; वे लोगों को पहचान देते हैं और समुदाय से जुड़े होने का एहसास कराते हैं। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि, टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में प्रगति से ये मानवीय पहलू नष्ट न हों। इसे रचनात्मकता, आलोचनात्मक सोच और पारस्परिक कौशल पर जोर देने वाली भूमिकाओं को बढ़ावा देकर हासिल किया जा सकता है— और ये सभी ऐसे क्षेत्र हैं, जहाँ इंसानों का प्रदर्शन मशीनों से बेहतर होता है।


टेक्नोलॉजी को नैतिकता के साथ अपनाने का मार्ग


चौथी औद्योगिक क्रांति अवसर और नैतिक चुनौतियाँ, दोनों साथ लेकर आई है। कार्यबल में रोबोट और एआई को शामिल करने के लिए एक संतुलित नज़रिये की जरूरत है, जिसमें इंसानों को नौकरी से हटाए जाने के सामाजिक प्रभाव पर अच्छी तरह गौर किया गया हो। लोगों को नए सिरे से कुशल बनाने को प्राथमिकता देकर, निष्पक्षता सुनिश्चित करके और इंसानी घटक को बनाए रखते हुए, व्यवसाय और सरकारें नैतिक रूप से इन चुनौतियों का सामना कर सकती हैं। टेक्नोलॉजी को समझदारी के साथ अपनाने से एक ऐसे भविष्य का निर्माण हो सकता है, जहाँ टेक्नोलॉजी में प्रगति का लाभ समाज के सभी सदस्यों को मिलता है, जो समावेशी और समतापूर्ण विकास को बढ़ावा देता है।




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